(दोहा)
बंदौ सिव अवगाहना, अरु बंदौ सिव पंथ ।
जसु प्रसाद भाषा करौं, नाटकनाम गरंथ ॥१०॥
अन्वयार्थ :
मैं सिद्ध भगवान को और मोक्षमार्ग
(रत्नत्रय)
को नमस्कार करता हूँ, जिनके प्रसाद से देशभाषा में नाटक समयसार ग्रन्थ रचता हूँ ॥१०॥