+ अनुभवका वर्णन -
(दोहरा)
कहौं शुद्ध निहचै कथा, कहौं शुद्ध विवहार ।
मुकतिपंथकारन कहौंअनुभौको अधिकार ॥१६॥
अन्वयार्थ : शुद्ध निश्चय नय, शुद्ध व्यवहार नय और मुक्तिमार्ग में कारणभूत आत्मानुभव की चर्चा वर्णन करता हूँ ॥१६॥