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अनुभव का लक्षण
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(दोहरा)
वस्तु विचारत ध्यावतैं, मन पावै विश्राम ।
रस स्वादत सुख ऊपजै, अनुभौ याकौ नाम ॥१७॥
अन्वयार्थ :
आत्मपदार्थ का विचार और ध्यान करने से चित्त को जो शान्ति मिलती है तथा आत्मिक-रस का आस्वादन करने से जो आनन्द मिलता है, उसी को अनुभव कहते हैं ॥१७॥