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अनुभव की महिमा
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(दोहरा)
अनुभव चिंतामनिरतन, अनुभव हे रसकूप ।
अनुभव मारग मोखकौ, अनुभव मोख सरूप ॥१८॥
अन्वयार्थ :
अनुभव चिंतामणि रत्न है, शान्ति-रस का कुआँ है, मुक्ति का मार्ग है और मुक्ति-स्वरूप है ॥१८॥
चिंतामणि=मनोवांछित पदार्थों का देनेवाला