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निर्जरा वर्णन
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(दोहरा)
जो पूरव सत्ता करम, करि थिति पूरन आउ ।
खिरबेकौं उद्यत भयौ, सो निर्जरा लखाउ ॥३२॥
अन्वयार्थ :
(दोहरा)
जो पूरव सत्ता करम, करि थिति पूरन आउ ।
खिरबेकौं उद्यत भयौ, सो निर्जरा लखाउ ॥३२॥